मंगलवार, 22 सितंबर 2015

हिंदी नहीं तो हिंदुस्तान कैसा

हिंदी नहीं तो हिंदुस्तान कैसा

जब दूर होगी हमसे,हिंदुस्तान से हिंदी
फिर अंग्रेज़ी के साथ हमारा क्या होगा
गंगा,जमुनी तहज़ीब संस्कृति,सभ्यता
हमारे सनातन,धर्म का आगे क्या होगा ,

चन्द हिमायती अंग्रेजी को आबाद कर
राष्ट्रभाषा का अनादर करते हैं कितना
हमारी सांस्कृतिक विरासतों के गढ़ से 
इसी मुई लिये लापरवाह रहते हैं इतना,

अंग्रेजों को तो इस मुल्क से दिया खदेड़ 
ये अंग्रेजी यहाँ ठाठ से पोषित होती रही
ग़फ़लत में हमारी इस सौतन भाषा संग  
सनातनी धर्म पग-पग शोषित होती रही,

अंग्रेजी की वक़ालत करने वालों की बस     
मुश्किल से भारत में  मुट्ठी भर तादात 
हिंदी करोड़ों भारतीयों के जुबां की रानी  
भला कैसे करें पराई भाषा यहाँ बरदाश्त,

न रंग-ढंग चाल-चलन रत्ती तहजीब ही  
आदर-सम्मान छोटे-बड़ों का भाव नहीं
ख़ाक़ करेगी बेअदब मुकाबला हिंदी का
जिसमें देशप्रेमी रखते रंच भी चाव नहीं ,

मानते हैं अवांछनीय नहीं है कोई भाषा
अनेक भाषाओं का ज्ञान बुरा नहीं होता  
राष्ट्रभाषा का अनादर हो इस बीना पर
ये ससुरी आँख तेरेरे स्वीकार नहीं होता ,

हिंदी का प्रचार-प्रसार कर पोषण संवर्धन 
मातृभाषा अर्श पे ला दुनिया को दर्शाना है  
भारतीय संस्कृति के सनातनी प्रवाहों को 
भारतवासी कोटि-कोटि अक्षुण्ण बनाना है।

                                             शैल सिंह 


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