रविवार, 22 फ़रवरी 2015

दस्तूर दुनिया का निभाना है ,

दस्तूर दुनिया का निभाना है



दुनिया भर की दुवाएं देकर
तुझे नए परिवेश सजाना है ,

बेटी छोड़ नगर नईहर का
सुख वैभव छोड़ पीहर का
नाज़ों पली मेरी राजदुलारी  
प्रितम का संसार बसाना है ,

करना हिया से पराई लाडो 
दुनिया का तो रीत पुराना है
कर पाषाण कलेजा गुड़िया
दस्तूर दुनिया का निभाना है ,

छोड़ के आँगन बाबुल का
ममता का छोड़ के आँचल
छोड़ तुझे वीरन का चऊरा   
विरवा रिश्ता नया बनाना है ,

निमिया का छोड़ बसेरा तुम  
सजन मुंडेर चहकना चिरई
पिया के घर,आँखों की पुतरी
डोली चढ़के विदा हो जाना है ,

तेरे यादों की बदली जान मेरी 
उमड़-घुमड़ नयनों से बरसेंगी
ऑंखें फुलवारी की ओ फुलवा
तेरे दामन देख ख़ुशी भी हर्षेंगी ।
                    
                शैल सिंह

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