मंगलवार, 11 नवंबर 2014

मन के उद्गार

मैं अपने मन की कुछ बात कहना चाहती हूँ बुद्धिजीवी लोगों से ,क्योंकि मैं भी अपनी बेटी के रिश्ते के लिए आजकल इन चोंचलों से अज़ीज आ रही हूँ ,कब लगाम लगेगी इन कुंडली के चक्करों की जोड़-तोड़ को ,ज्योतिषियों की भ्रामक प्रचारों को जिसका जहर टी. वी.पर हर चैनल पर प्रसारित किया जा रहा है इंटरनेट पर पंडितों की साइटों की भरमार है ,जिसे देख सुनकर जनता अंधविश्वासों की शिकार होती जा रही है ,मांगलिक और गुणदोष के चक्कर में लडके-लड़कियों की शादी की सही उमर ही निकलती जा रही है यदि पोथी,पत्रों वाली बातें इतनी ही सच होतीं तो हमारी पीढ़ी के लोग कितने परेशान हुए होते ,पहले हर दम्पति के चार,पांच ,छह ,आठ औलादें होती थीं इतने शिक्षित भी लोग नहीं होते थे कि अपने इतने संतानों की सही डेट ऑफ बर्थ का सही-सही लेखा-जोखा संरक्षित कर रख सकें । टी.वी. पर दिखाए जा रहे वास्तु शाश्त्र कुंडली के दोष गुण के उपाय अच्छे-अच्छों के दिमाग़ का गुड़गोबर कर दिया है ,पहले भी लोग मानते थे पर आजकल की तरह नहीं ,कितनों की दुकानें चल निकली हैं ,शादी व्याह की कितनी वेबसाईटें बेरोजगारों को रोजगार मुहैया करा रही है ,भोले भाले लोग इनके शिकार हो रहे हैं ,धूल फांक रहे हैं मनी खर्च करने वाले ,संयोग से किसी की गोटी फिट
हो गई तो वो आपको भी सलाह देंगे । फायदा कुछ नहीं होता उनकी रोटी रोजी फल फूल रही है । कितने अच्छे अच्छे रिश्ते इन ढोंग ढकोसलों के चक्कर में हाथ से निकलते जा रहे हैं और बच्चों की उम्र मुट्ठी से रेत की तरह ।  इसका कोई उपाय निकल सकता है या नहीं मैं नहीं जानती पर अपनी सुशिक्षित नौकरी पेशा सरल और परिपक्व बेटी के लिए एक सजातीय सुयोग्य सुदर्शन व्यक्तित्व वाले घर-वर की कल्पना अवश्य करती हूँ । आज का कैसा जमाना आ गया है कि लोग बेतक़ल्लुफ़ हो ये तक पूछते हैं कि क्या आप अपनी ही जाति में यानि राजपूत परिवार में ही शादी करेंगी अन्य जाति में नहीं ,सुनकर कितना अजीब लगता है आज के आधुनिक ज़माने की बेतुकी बातें । जमाना तो है लव मैरिज का ,लिव इन रिलेशनशिप का , तो लोग नसीहत तो देंगे ही । आजकल बेटियों का सच्चरित्र होना भी हंसी मजाक का मुद्दा है क्योंकि वह अपने घर परिवार के संस्कारों में बंधी गंवार लड़की साबित है वह ज़माने की आँधी में नहीं बही तो समझिए उल्लू है । आग लगे ज़माने की आंधी को और अन्धविश्वास की पराकाष्ठा को जिसमें अच्छे बुरे सभी दिशाहीन हैं । किसी को ठेस पहुँचाने का मेरा इरादा नहीं ये मेरे अपने मन के उद्गार हैं ।
                                                   शैल सिंह                                                                           
                                                                                                                     

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